tag:blogger.com,1999:blog-51244922593160109212024-02-02T11:09:09.691-08:00सुरती शब्द साधना mystery of meditationसुरती शब्द साधना से । सहज योग । भी कहते हैं । यही वो साधना है । जो मीरा । कबीर । रैदास । राम । कृष्ण । शंकर । हनुमान । वाल्मीक । बुद्ध । महावीर । रामकृष्ण परमहँस । विवेकानन्द आदि ने की । मुक्ति और आत्मग्यान की इस एकमात्र साधना के बारे में विस्त्रत जानकारी हेतु सम्पर्क करें ।CONTECT ME 0 94564 32709 महाराज जी GURUJI - 0 9639892934 kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-43378482560066650942012-04-06T06:26:00.001-07:002012-04-06T18:59:59.991-07:00क्या प्रेम आमोद प्रमोद या मजा है ?प्रेम क्या है ? हम यह चर्चा नहीं कर रहे कि - प्रेम को क्या होना चाहिये ? हम यह देख रहे हैं कि - वो क्या है । जिसे हम प्रेम कहते हैं ? आप कहते हैं - मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ । पर मैं नहीं जानता कि आपका प्रेम क्या है ? मुझे संदेह है कि आप किसी भी चीज से प्यार प्रेम करते हों । क्या आप प्रेम शब्द का अर्थ भी जानते हैं ? क्या प्रेम आमोद प्रमोद या मजा है ? क्या प्रेम ईर्ष्या है ? क्या वह kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-89784407458217850042012-04-06T06:23:00.001-07:002012-04-06T19:05:29.870-07:00मैं कर्म में विश्वास नहीं करता ?निश्चित ही जो खुद को सांसारिक राजनीति में खपा कर खो चुके हैं । उनके लिये खुद को भीड़ से अलग करना ही समस्या नहीं । अपितु जीवन में वापस लौटना । प्रेम में उतरना । सहज सरल होना भी मुख्य कार्य है । प्रेम के बिना आप कुछ भी करें । आप कर्म की सम्पूर्णता को नहीं जान सकते । अकेला प्रेम ही आदमी को बचा सकता है । यही सत्य है । श्रीमान ! हम लोग प्रेम में नहीं है । हम वास्तव में उतने सहज सरल नहीं रह गये हैं । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-35575520648209742372012-04-06T06:21:00.001-07:002012-04-06T19:11:14.479-07:00अकेले रहने में ही असली और अनन्त शक्ति हैकेवल अबोधता निर्दोषता ही चाव पूर्ण और शौकिया हो सकती है । निर्दोषता के पास ही दुख नहीं होता । ना रोग बीमारी । हालांकि उसके पास इनके हजारों अनुभव होते हैं । अनुभव मन को भृष्ट नहीं करते । लेकिन वो जो पीछे छोड़ जाते हैं । अवशिष्ट । खरोंचे । और यादें । इनसे मन भृष्ट होता है । यह सब एक के ऊपर एक जमते जाते हैं । और तब शुरू होता है - दुख । यह दुख । समय होता है । जहां समय हो । वहां निर्दोषता सरलता नहीं kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-62583257475738045452012-04-06T06:18:00.001-07:002012-04-06T19:17:12.260-07:00आप आत्म विश्वास पा सकते हैंक्या कोई ऐसा खोजी है । कोई ऐसा प्रश्न कर्ता है । जो अपने बारे में अन्य लोगों द्वारा दी गई सारी सूचनाओं । सारे ज्ञान को पूर्णतः त्याग कर । अपने आपको जानने की कोशिश करे ? क्या कोई ऐसा करेगा ? कोई भी नहीं । क्योंकि यह बहुत ही सुरक्षित और आसान है कि हम प्रभुत्व स्वीकार लें । तब कोई भी अपने आपको सुरक्षित संरक्षित महसूस करता है । लेकिन यदि कोई पूर्णतः अन्य लोगों । किसी के भी प्रभुत्व प्रभाव को त्याग दे kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-8718473909347885512011-11-21T01:37:00.000-08:002011-11-21T03:16:42.188-08:00इसलिए भी यह महावाक्य बहुत अदभुत हैप्यारे ओशो ! जब तन्का द्वारा बुद्ध की काष्ठ मूर्ति को जलाए जाने की घटना के बारे में तेन्जिक से पूछा गया । तो उसने उत्तर दिया - जब शीत अधिक होती है । तो हम चूल्हे की आग के चारों ओर इकट्ठे हो जाते हैं । क्या वह गलत था । अथवा नहीं ? भिक्षु ने जोर देकर पूछा ।
तेन्जीकू ने कहा - जब गर्मी लगती है । तो हम घाटी के बांसवन में जाकर बैठ जाते हैं । मूर्ति के जला देने के दूसरे दिन । तन्का तेनिन । झेन kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-44157554569484258042011-11-21T01:35:00.000-08:002011-11-21T03:22:11.731-08:00india के लोचपोच आदमियों में यह भी एक कारण हैसब तीर्थ बहुत ख्याल से बनाये गए है । अब जैसे कि मिश्र में पिरामिड है । वे मिश्र में पुरानी खो गई सभ्यता के तीर्थ है । और 1 बड़ी मजे की बात है कि इन पिरामिड के अंदर । क्योंकि पिरामिड जब बने तब । वैज्ञानिको का खयाल है । उस काल में इलेक्ट्रिसिटी हो नहीं सकती ।
आदमी के पास बिजली नहीं हो सकती । बिजली का आविष्कार उस वक्त कहां । कोई 10 हजार वर्ष पुराना पिरामिड है । कई 20 हजार वर्ष पुराना पिरामिड है kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-75854222676054616032011-11-21T01:33:00.000-08:002011-11-21T03:26:27.223-08:00खाओ पीओ और मौज करो बस यही 1 मात्र धर्म हैमनुष्य का इतिहास 1 अत्यंत दुखद घटना रहा है । और इसके दुखद होने का कारण समझना । बहुत कठिन नहीं है । उसे खोजने के लिए तुम्हें । ज्यादा दूर जाना न पड़ेगा । वह प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद है ।
मनुष्य के पूरे अतीत ने । मनुष्य में 1 विभाजन पैदा कर दिया है । हर आदमी के भीतर निरंतर 1 शीत युद्ध चल रहा है । यदि तुम्हें बेचैनी का अनुभव होता है । तो उसका कारण व्यक्तिगत नहीं है । तुम्हारी बीमारी सामाजिक है । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-68977975339017450582011-11-21T01:31:00.000-08:002011-11-21T03:30:40.579-08:0099% मनोवैज्ञानिक समस्याएं मानव के sex के दमन से पैदा होती हैं ।ऐसा लगता है कि दुनिया दिन पर दिन अधिक से अधिक पागल होती जा रही है । कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है ? और हर चीज उलटी सीधी । और गड़बड़ हो गई है । यह बात अखबार कहते हैं । क्या यह सच है ? और यदि ऐसा है । तो क्या जीवन में कोई आत्यंतिक संतुलन है । जो हर चीज को स्थिर रखे हुए है ?
दुनिया वैसी ही है । यह हमेशा ऐसी ही रही है । उलटी । पागल । विक्षिप्त । सच तो यह है कि सिर्फ 1 नई बात दुनिया में हुई है । और kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-43503427980236507152011-11-21T01:29:00.000-08:002011-11-21T03:32:56.468-08:00बहुत दे दिया धोखा स्वयं को अब और नहींमैं यहां तुम्हें स्वपन देने के लिये नहीं हूं । बल्कि बिलकुल इसके विपरीत । मैं यहां तुम्हारे स्वपनों को धवस्त करने के लिये हूं । तुम मेरे बारे यह नहीं कह सकते कि मैं सही हूं । या ग़लत । अधिक से अधिक तुम यही कह सकते हो कि मैं उलझन पैदा कर रहा हूं । लेकिन यही मेरा उपाय है । तुम्हें उलझा दूं । कहां तक तुम यह सह सकोगे कि मैं यहां से वहां । और वहां से यहां बदलता रहूं । 1 दिन तुम चिल्लाने ही वाले हो । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-71201279060919821682011-11-21T01:27:00.000-08:002011-11-21T03:34:55.578-08:00सत्य को जानना है तो अपनी बुद्धि के कुओं से बाहर आ जाओसाधारण आदमी जब उसके जीवन में दुख आता है । तब शिकायत करता है । सुख आता है । तब धन्यवाद नहीं देता । जब दुख आता है । तब वह कहता है कि - कहीं कुछ भूल हो रही है । god नाराज है । भाग्य विपरीत है । और जब सुख आता है । तब वह कहता है कि - यह मेरी विजय है ।
मुल्ला नसरुद्दीन 1 प्रदर्शनी में गया । अपने विद्यार्थियों को साथ लेकर । उस प्रदर्शनी में 1 जुए का खेल चल रहा था । लोग तीर चला रहे थे धनुष से । और kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-85792085128322306632011-11-21T01:25:00.000-08:002011-11-21T03:38:32.382-08:00उसने कहा - मैं मौत हूँमैंने सुना है कि 1 गांव के बाहर 1 फकीर रहता था । 1 रात उसने देखा कि 1 काली छाया गांव में प्रवेश कर रही है । उसने पूछा कि - तुम कौन हो ? उसने कहा - मैं मौत हूँ । और शहर में महामारी फैलने वाली है । इसीलिये मैं जा रही हूं । 1000 आदमी मरने है । बहुत काम है । मैं रूक न सकूँगी । महीने भर में शहर में 10000 आदमी मर गये । फकीर ने सोचा । हद हो गई झूठ की । मौत खुद ही झूठ बोल रही है । हम तो सोचते थे कि आदमी kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-32943769538053786502011-11-21T01:22:00.000-08:002011-11-21T03:42:05.289-08:00क्योंकि जहां मैं खड़ा हूं वहां अतीत और भविष्य 1 हो गए हैंमहावीर से गोशालक के नाराज हो जाने के कुछ कारणों में 1 कारण यह पौधा भी था । महावीर को छोड़कर चले जाने में । ज्योतिष का । जिस ज्योतिष की मैं बात कर रहा हूं । उसका संबंध अनिवार्य से । एसेंशियल से । फाउंडेशनल से है । आपकी उत्सुकता ज्यादा से ज्यादा सेमी एसेंशियल तक जाती है । पता लगाना चाहते हैं कि कितने दिन जीऊंगा ? मर तो नहीं जाऊंगा ? जीकर क्या करूंगा । जी ही लूंगा । तो क्या करूंगा । इस तक आपकी kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-439111354756978002011-11-21T01:20:00.000-08:002011-11-21T03:44:55.184-08:00इसका बीइंग से आत्मा से कोई संबंध नहीं हैमहाभारत अमरीका की चर्चा करता है । अर्जुन की एक पत्नी मेक्सिको की लड़की है । मेक्सिको में जो मंदिर हैं । वे हिंदू मंदिर हैं । जिन पर गणेश की मूर्ति तक खुदी हुई है ।
बहुत बार सत्य खोज लिए जाते हैं । खो जाते हैं । बहुत बार हमें सत्य पकड़ में आ जाता है । फिर खो जाता है । ज्योतिष उन बड़े से बड़े सत्यों में से एक है । जो पूरा का पूरा खयाल में आ चुका । और खो गया । उसे फिर से खयाल में लाने के लिए बड़ी kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-90432222971512203582011-11-21T01:18:00.000-08:002011-11-21T03:50:00.491-08:00मैं रामलीला के रामों की बात नहीं कह रहा हूँजब तक दुनिया में हम एक आदमी को दूसरे आदमी से कम्पेयर करेंगे । तुलना करेंगे । तब तक हम एक गलत रास्ते पर चले जाएंगे । वह गलत रास्ता यह होगा कि हम हर आदमी में दूसरे आदमी जैसा बनने की इच्छा पैदा करते हैं । जब कि कोई आदमी किसी दूसरे जैसा न बना है । और न बन सकता है ।
राम को मरे कितने दिन हो गए । या क्राइस्ट को मरे कितने दिन हो गए ? दूसरा क्राइस्ट क्यों नहीं बन पाता । और हजारों हजारों क्रिश्चिएन कोशिश kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-4345065973181115562011-11-21T01:15:00.000-08:002011-11-21T03:52:29.161-08:00इसलिये तो प्रेम से लोग इतने भयभीत हो गए हैंप्रेम की कुछ भूल नहीं है । डूबने वालों की भूल है । और मैं तुमसे कहता हूं । जो प्रेम में नरक में उतर जाते थे । वे प्रार्थना से भी नरक में ही उतरेंगे । क्योंकि प्रार्थना प्रेम का ही एक रूप है । और जो घर में प्रेम की सीढ़ी से नीचे उतरते थे । वे आश्रम में भी प्रार्थना की सीढ़ी से नीचे ही उतरेंगे । असली सवाल सीढ़ी को बदलने का नहीं है । न सीढ़ी से भाग जाने का है । असली सवाल तो खुद की दिशा को बदलने का kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-48060163968994974332011-11-21T01:13:00.000-08:002011-11-21T03:55:03.348-08:00नहीं आप कहेंगे बुद्ध हैं महावीर हैं वे गाली नहीं देतेआदमी बहुत सी बातें जानकर भुलाए हुए है । कुछ बातों को वह स्मरण ही नहीं करता । क्योंकि वह स्मरण उसके अहंकार की सारी की सारी अकड़ खींच लेगा । बाहर कर देगा । फिर क्या है हमारा ? छोड़ें जन्म और मृत्यु को । जीवन में ऐसा भृम होता है कि बहुत कुछ हमारा है । लेकिन जितना ही खोजने जाते हैं । पाया जाता है कि नहीं । वह भी हमारा नहीं है ।
आप कहते हैं । किसी से मेरा प्रेम हो गया । बिना यह सोचे हुए कि प्रेम आपका kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-69582357458746004032011-07-29T04:04:00.000-07:002011-07-29T04:04:49.186-07:001 जवान और नयी माँ रोज का 1 लीटर दूध पैदा करती है - विनोद त्रिपाठीराजीव राजा ! पाठकों ने मेरे बारे में पूछा । और खासकर तुमने भी मुझे अपने ऊपर स्पेशल लेख लिखने को कहा । तुम सबने मुझे भावुक कर दिया । मैं अपनी निजी जिन्दगी पर भी लेख लिखकर भेज दूँगा । लेकिन इससे पहले मैंने ये 1 स्पेशल लेख तुम्हारे ब्लाग के लिये तैयार कर लिया था । पहले इस लेख का छपना जरुरी है । ये लेख मैंने खासतौर पर शाकाहार को मुख्य रखकर लिखा है । इस आशा से कि शायद इस लेख को पढकर कुछ प्रतिशत लोग kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-76736879449175850212010-09-24T06:44:00.001-07:002010-12-28T01:09:12.648-08:00संत के दर्शन का क्या फ़ल होता है ?एक बार की बात है । नारद के मन में विचार उठा कि संत के दर्शन का कया फ़ल होता है ? इस सवाल का जवाव कौन देता ? इसलिये नारद जी क्षीरसागर में विष्णु के पास पहुंचे । कुछ देर की औपचारिकता के बाद नारद ने कहा । प्रभु । कृपया ये बतायें । कि संत के दर्शन का क्या फ़ल होता है ? विष्णु ने कुछ देर सोचा । और फ़िर बोले । नारद जी । आपके प्रश्न का जबाव । वो तालाब में रहने वाला मेढक बतायेगा । नारद को बहुत आश्चर्य kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-83810526897809186392010-09-24T06:38:00.000-07:002010-12-28T01:10:27.086-08:00वे तीरथराम से स्वामी रामतीर्थ हो गयेस्वामी रामतीर्थ का जन्म पंजाब के मुरलीवाला ग्राम के निवासी पण्डित हीरानंद के परिवार में सन 1873 ई. में दीवाली के दिन हुआ । इनके बचपन का नाम तीरथराम था । इनके जन्म के कुछ दिन बाद ही माता का देहान्त हो गया । तब इनका पालन पोषण इनकी बुआ ने किया । ये बचपन से ही बेहद कमजोर थे । पांच वर्ष की आयु में इनकी पडाई शुरू हो गयी । और इन्होंने प्राथमिक स्तर पर फारसी की शिक्षा प्राप्त की । 10 वर्ष की आयु तक kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-57709736181985734622010-08-19T05:36:00.000-07:002010-12-28T01:12:48.879-08:00वह सब विष व्याधियों को शान्त करने वाला हो गया ।नागों का राजा वासुकि बलासुर दैत्य के पित्त को लेकर अत्यन्त वेग से देवलोक जा रहा था । उसी समयपक्षीराज गरुण ने सर्पदेव वासुकि पर प्रहार करने की कोशिश की । तब भयभीत होकर वासुकि ने उसरत्नबीज रूपी पित्त को तुरुष्क देश की पर्वत की उपत्यका में छोड दिया । तव वह पर्वत के जल प्रपात के साथ बहता हुआ महालक्ष्मी के समीप स्थित श्रेष्ठ भवन अर्थात समुद्र को प्राप्त करके उसकी तटवर्ती भूमि के समीप मरकत मणि यानी kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-6696410901482859092010-08-19T05:18:00.000-07:002010-12-28T01:15:38.789-08:00तब भय के कारण सूर्य ने वह रक्त लंका की एक श्रेष्ठ नदी के जल में गिरा दिया ।जब सूर्य बलासुर दैत्य के रत्नबीज रूप शरीर के रक्त को लेकर आकाश मार्ग से देवलोक जा रहे थे ।उसी समय देवताओं पर कई बार विजय पा लेने के अहंकार से भरे हुये रावण ने सूर्य का रास्ता एक शत्रु के समानरोक लिया । तब भय के कारण सूर्य ने वह रक्त लंका की एक श्रेष्ठ नदी के जल में गिरा दिया । जिसके दोनों तटों पर सुपारी के सुन्दर वृक्षों की पंक्तियां थी । गंगा के समान पवित्र और उत्तम फ़ल देने में सक्षम इस नदीका kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-59733705587981590662010-08-07T06:53:00.000-07:002011-02-09T21:37:55.280-08:00महाराज जी के नवीनतम चित्र
तू अजर अनामी वीर । भय किसकी खाता । तेरे ऊपर कोई न दाता ।अद्वै वैराग कठिन है भाई । अटके मुनिवर जोगी । अक्षर को ही सत्य बताबें । वे हैं मुक्त वियोगी । अक्षरतीत शबद एक बांका । अजपा हू से है जो नाका । ऊर्ध्व में रहे । अधर में आवे । जो जब जाहिर होई । जाहि लखे जो जोगी । फ़ेर जन्म नहीं होई । जैसा आत्मग्यान का सर्वोच्च बोध मुझे कराने वाले पूज्य श्री महाराज जी कुछ दिन पहले हमारे अति आग्रह पर आगरा आये । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-6521876615071592512010-08-07T06:34:00.000-07:002010-12-28T01:22:28.906-08:00नाडी का रहस्य.??.स्वर के उदय होने से कार्य के शुभ और अशुभ होने का ग्यान होता है । हमारे शरीर में बहुत प्रकार की नाडियां फ़ैली हुयीं हैं । नाभि के नीचे । कन्दस्थान यानी मूलाधार है । वहीं से सब नाडियां निकलकरशरीर मे फ़ैलती हैं । वहत्तर हजार नाडियां शरीर में चक्राकार अवस्था में रहती हैं । इन नाडियों में वामा यानी बांयी । दक्षिणा यानी दाहिनी । मध्यमा याने बीच में । ये तीन श्रेष्ठ नाडियां हैं । इन्ही को इडा । पिंगला । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-67385391846627432412010-08-07T06:27:00.000-07:002010-12-28T01:26:54.433-08:00सूर्य के रथ का रहस्य..सूर्य के रथ का विस्तार नौ हजार योजन है । एक योजन में बारह किलोमीटर होते है । उसका जुआ तथा रथ के बीच का भाग अठारह हजार योजन है । उसकी धुरी एक करोड सत्तावन लाख योजन लम्बी है । इसमें चक्र लगा हुआ है । पूर्वाह्य । मध्याह्य । अपराह्यरूप तीन नाभि है । परिवत्सर आदि पांच अरे हैं । छह ऋतुयें । छह नेमियां हैं । अक्षयस्वरूप संवतसर युक्त उस चक्र में पूरा कालचक्र सन्निहित है । सूर्य के रथ की दूसरी धुरी चालीस kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5124492259316010921.post-73424793376512540862010-07-30T22:00:00.000-07:002010-12-28T01:32:14.898-08:00शेरा । जूली....130 जुलाई 2010 को शाम के छह बजे हैं । मैं लगभग हमेशा की ही तरह अपने घर के सामने सडक पर बैठा हूं । महज 300 मीटर की यह सडक हमारे घर के तीस मीटर आगे जाकर बन्द है । अतः आम सडकों जैसा इस पर आवागमन नहीं रहता । सडक के पार लगभग 80 मीटर चौडी और 200 मीटर लम्बी जगह खाली प्लाट के रूप में है । जिसमें उनके मालिक बगीचे और क्यारियां आदि बनाकर सब्जी उगाते हैं । मेरे घर के ठीक साइड में 20 बाइ 50 मीटर का प्लाट बिजली kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0