शुक्रवार, जुलाई 29, 2011

1 जवान और नयी माँ रोज का 1 लीटर दूध पैदा करती है - विनोद त्रिपाठी

राजीव राजा ! पाठकों ने मेरे बारे में पूछा । और खासकर तुमने भी मुझे अपने ऊपर स्पेशल लेख लिखने को कहा । तुम सबने मुझे भावुक कर दिया । मैं अपनी निजी जिन्दगी पर भी लेख लिखकर भेज दूँगा । लेकिन इससे पहले मैंने ये 1 स्पेशल लेख तुम्हारे ब्लाग के लिये तैयार कर लिया था । पहले इस लेख का छपना जरुरी है । ये लेख मैंने खासतौर पर शाकाहार को मुख्य रखकर लिखा है । इस आशा से कि शायद इस लेख को पढकर कुछ प्रतिशत लोग माँसाहार छोडकर शाकाहार को अपना लें
खास बात ये है कि - ये लेख सबके लिये ही है । छोटे बच्चे से लेकर बूढे तक । जवान । अधेड । महिला और पुरुष सबके काम की बात लिखी है । तो फ़िर सबसे पहले किससे शुरु करें । चलो नौजवानों से मुस्टन्डों से बात शुरु करते हैं ।
आजकल जवान होते ही लडकों को बाडी बनाने का भूत सवार हो जाता है । अच्छी बात है । लेकिन कसरत के साथ अच्छी खुराक भी चाहिये । अब जिम का कोच अक्सर कह देता है कि - रोज इतने अन्डे खाओ । साथ में हफ़्ते में 3 दिन चिकन जरूर खाओ । इसके बिना बाडी

नहीं बनेगी । अन्डों से बेहतर फ़ार्मूला है । सुबह और शाम 1 बडा गिलास दूध का । लेकिन बिना चीनी के । चीनी की जगह 1 बडा चम्मच असली शहद का मिलाना है ।
दूध न तो ठंडा होना चाहिये । और न ही अधिक गरम । बस हल्के गरम दूध में शहद मिलाना है । अच्छी तरह फ़ेंटकर । ये फ़ार्मूला सिर्फ़ 1 महीना करके देख लो ( कसरत के साथ बृह्मचर्य का पालन करते हुए ) सच कहता हूँ । 1 महीने में चेहरे का रंग बदल जायेगा । इससे वजन भी बडेगा । खून भी बडेगा । और सारा दिन एनर्जी मिलेगी ।
ये फ़ार्मूला महिलायें और लडकियाँ भी कर

सकती हैं ( जो शारीरिक तौर पर कमजोर हैं ) छोटे बच्चे को अगर ये बचपन में पीने को मिले । तो उसका विकास ठीक होगा । अगर किसी ने अपनी चर्बी कम करनी है । तो उसे 1 चम्मच शहद बिना चीनी के नीम्बू पानी में मिलाकर सुबह शाम पीना चाहिये ( साथ में कसरत या दौड लगानी चाहिये )
अब बात आती है चिकन की । लोग कहते हैं । चिकन और मच्छी में बहुत प्रोटीन है । इसके बिना बाडी नहीं बन सकती । हाँ इनमें प्रोटीन है । लेकिन इसका भी तोड भारत में है । इसकी जगह शलजम । काले चने । हरा चना । सरसों का साग । सोयाबीन की बडीयाँ ( खुद डाक्टर भी

कहते हैं कि सोयाबीन में चिकन से अधिक प्रोटीन है )  चने की दाल । राजमाह । पत्ता गोभी । मटर और जितनी भी हरी सब्जीयाँ । अपने देश में तो हर किस्म का मोटा अनाज है । वो खाओ ।
जो लोग अधिक कसरत करते हैं । वो लोग बिना चीनी के हल्के गरम दूध में 1 बडा चम्मच असली देसी घी का मिलाकर पी सकते हैं ( सुबह शाम ) लेकिन ये वाला फ़ार्मूला सिर्फ़ 4 महीने ही चलेगा ( नवम्बर । दिसम्बर । जनवरी और फ़रवरी )
जो सुबह दौड लगाते हैं । वो रात को थोडे से काले चने पानी में भिगो दिया करें । सुबह दौड कर आकर उन्हें भूनकर या उबाल कर कैसे भी खा लिया करें । बहुत एनर्जी मिलेगी । या फ़िर उडद की दाल को रात को भिगो दो । सुबह दौड लगाकर आकर देसी गुड के साथ खाओ । बलवान बनोगे । नौजवान मुस्टन्डों को "

अन्डा चिकन और मच्छी " खाने की जरूरत नहीं पडेगी । ये गुड वाला फ़ार्मूला चाय के लिये भी उपयोगी रहेगा ।
सर्दियों में लोग चीनी की जगह गुड की बनी चाय पी सकते हैं । गुड में गर्मी होती है । इससे ठन्ड में ताकत मिलेगी । और खून बडेगा । गुड या गुड को कूट कूटकर बनाई गयी देसी शक्कर से बनी चाय कोई भी पी सकता है । जिनको भूख नहीं लगती । और उन्हें अगर चीनी वाली चाय पसन्द है । तो वो ऐसा करें । सुबह की पहली चाय और शाम की चाय में थोडी सी सौंफ़ डाल लिया करें ( चाय का पानी उबालते समय ) इससे भूख कुछ दिनों में ही खुल जायेगी । कोका कोला न पीयें । तो अच्छा है । क्युँ कि इन हर किस्म के बाजारी सोफ़्ट ड्रिंक में कोई ऐसा आर्टीफ़ीशयल कैमिकल डाला जाता है ।

जो हड्डियों के लिये ठीक नहीं होता ।  उसकी जगह ताजा जूस पीयो । या नीम्बू पानी पीयो ।
अब तुम लोग ये मत बोल देना कि ये चीजें महंगी हैं । क्युँ कि चिकन और मच्छी भी तो महंगी है । कोक भी तो महंगा है ।
दूसरी बात नवजात शिशुओं के लिये माँ का दूध ही सबसे बेहतर है । आजकल औरतें अपना दुध बच्चों को पिलाती नहीं । जो पिलाती भी हैं । वो सिर्फ़ 6 महीने तक पिलाकर पल्लू झाड लेती हैं । बच्चों को अपना दूध जितनी अधिक आयु तक पिला सकें । उतना अच्छा है ( बेशक 2, 3 या 4 साल तक की उमर तक )
1 खास बात - बिलकुल नयी माँ का दूध शुरुआत में हल्के पीले रंग जैसा होता है । साथ में वो गाढा भी होता है । धीरे धीरे फ़िर वो हल्का, पतला और सफ़ेद होता जाता है । माँ के दूध में एक कुदरती मिठास भी होती है ।

अब जो मैं बात लिखने जा रहा हूँ । ये मेरी निजी राय नहीं है । ये किसी अंतर्राष्ट्रीय लेवल की महिला डाक्टर की रिपोर्ट है । उस महिला डाक्टर के अनुसार - 1 जवान और तन्दुरस्त नयी माँ रोज का 1 लीटर दुध पैदा करती है ।
जामुन खाते रहने से बुढापे में शुगर का रोग होने के चांस कम होते हैं । ताजा फ़ल हर कोई खाया करो । राजीव राजा ! मुझे कोई अपने साथ एक बार इन्दौर में किसी माडर्न फ़ूड हाउस में ले गया । वहाँ मैंने खाने का मीनू पढा । मैं हैरान रह गया । वहाँ पीजा 100 रुपये से शुरु होकर 500 रूपये तक का था । मैंने ये भी नोट किया कि इसके बावजूद वहाँ भीड बहुत थी ।
लडकियाँ तो खैर आजकल हर कोई करीना कपूर ही बनी हुई है । लेकिन लडके सब साले " कमर हिलाकर डिस्को और पप्पी लेकर खिसको " स्टायल ही थे ।
राजीव राजा ! सच कहता हूँ । आजकल के लडकों को देखकर बिलकुल भी दिल खुश नहीं होता । कोई कोई लडका ही ऐसा दिखता है । जिसको देखकर मन कहता है - वाह क्या नौजवान है ।
मेरी ये सब लिखी बातें मजाक नहीं है । इनको कोई 1 महीना करके देख ले । खुद पता चल जायेगा । लेकिन मेरी लिखी खुराक असली होनी चाहिये । मिलावटी नहीं ।
मैंने जो इस लेख के साथ 11 फोटो भेजी हैं । वो जानबूझ कर भेजी हैं । अब मैं रितिक या सलमान जैसे लोगों की फोटो क्या भेजता । इतनी बात उनमें है नहीं । शायद बहुत से लोग सनी दयोल को बहुत बडा 

महाबली समझते हैं । मुझे तो वो स्कूल जाता बच्चा लगता है । बस स्कूल बैग और हाफ़ पैन्ट की कमी है । सुनील शैट्टी और संजय दत्त मेरे को पसन्द हैं । लेकिन इस लेख के लिये ये दोनों बेहतरीन उदाहरण नहीं थे । मुझे नौजवान मुस्टंडों को उत्साहित करने के लिये ये दो " आर्नोल्ड और सिलवेस्टर " ही ठीक लगे । अब तो बेचारे ये भी बूढे हो चुके हैं ।
लेकिन मुस्टंडों इन दोनों की हूबहू नकल मत करना । इनका हिसाब किताब अलग है । तुम सब लोग जैसी कैसी भी हालत में हो । उसमें ही मेरा कहना मानते हुये निरोगता, तन्दुरुस्ती और शाकाहार को तलाश करो । थूक का दुरपयोग करने में मेहनत करते हो । कोई ढंग का काम भी कर लो ।
शराब पीने वाले बडी उमर के लोगों से बिनती है कि शराब ( सही शराब ) रोज अगर पीनी है । तो रात को 8 बजे दवाई के तौर पर 2 या 3 पैग से अधिक न पीयें । सिगरेट पीने वाले भाई साहब पूरे दिन में 4 सिगरेट से अधिक न पीयें । इससे इस तरह के लोगों की तलब भी शान्त रहेगी । और शरीर पर नुकसान की मार नहीं पडेगी । अन्त में इतना ही कहूँगा कि अगर भक्ति भी करनी है । तो भी तन का निरोग होना आवश्यक है । अब जितना मेरे को समझ में

आया । मैंने मौके पर चौका लगा दिया । फ़िर कुछ जरुरी बात अगर याद आयी । तो फ़िर से लिखकर भेज दूँगा अब अगर इस लेख को पढकर कोई माँसाहार को छोडकर शुद्ध शाकाहारी बन गया । तो मुझे भी गुप्त पुण्य मिल जायेगा । जय किसान ।
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प्रस्तुतकर्ता - श्री विनोद त्रिपाठी । प्रोफ़ेसर । लाला लाजपत राय नगर । भोपाल । मध्य प्रदेश । ई मेल से ।
- त्रिपाठी जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद । अब वाकई आप एक जिम्मेवार शिक्षक लगने लगे । खास बात ये है कि - आपकी ज्यादातर सलाह से मैं

सहमत हूँ । और गुङ सोंफ़ की चाय दूध शहद नींबू पानी आदि का मैं उपयोग भी करता रहा हूँ ।
इस पूरे लेख में मुझे कहीं कुछ अजीब सा नहीं लगा । सिर्फ़ एक जगह को छोङकर । और वो था । नव प्रसूता के दूध का शुरूआती रंग पतला गाङा etc मैटर ।
बिकाज आपको अपने स्तनपान किये वक्त का तो याद होने का प्रश्न ही नहीं । और प्रोफ़ेसर की जगह आप प्रोफ़ेसरनी भी नहीं हो । फ़िर आपको ये मैटर इतना बारीकी से कैसे पता है ?
मेरे ख्याल में तभी ये गाना आपका फ़ेवरिट है - चोली के पीछे क्या है ..कु कु कु कु कु..हाय राम जी ।
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