सोमवार, नवंबर 21, 2011

इसका बीइंग से आत्मा से कोई संबंध नहीं है

महाभारत अमरीका की चर्चा करता है । अर्जुन की एक पत्नी मेक्सिको की लड़की है । मेक्सिको में जो मंदिर हैं । वे हिंदू मंदिर हैं । जिन पर गणेश की मूर्ति तक खुदी हुई है ।
बहुत बार सत्य खोज लिए जाते हैं । खो जाते हैं । बहुत बार हमें सत्य पकड़ में आ जाता है । फिर खो जाता है । ज्योतिष उन बड़े से बड़े सत्यों में से एक है । जो पूरा का पूरा खयाल में आ चुका । और खो गया । उसे फिर से खयाल में लाने के लिए बड़ी कठिनाई है । इसलिए मैं बहुत सी दिशाओं से आपसे बात कर रहा हूं । क्योंकि ज्योतिष पर सीधी बात करने का अर्थ होता है कि वह जो सड़क पर ज्योतिषी बैठा है । शायद मैं उसके संबंध में कुछ कह रहा हूं । जिसको आप 4 आने देकर और अपना भविष्य फल निकलवा आते हैं । शायद उसके संबंध में या उसके समर्थन में कुछ कह रहा हूं ।
नहीं । ज्योतिष के नाम पर 100 में से 99 धोखाधड़ी है । और वह जो 100वां आदमी है । 99 को छोड़कर । उसे समझना बहुत मुश्किल है । क्योंकि वह कभी इतना डागमेटिक नहीं हो सकता कि कह दे कि ऐसा होगा ही । क्योंकि वह जानता है कि ज्योतिष बहुत बड़ी घटना है । इतनी बड़ी घटना है कि आदमी बहुत झिझककर ही वहां पैर रख सकता है । जब मैं ज्योतिष के संबंध में कुछ कह रहा हूं । तो मेरा प्रयोजन है कि मैं उस पूरे पूरे विज्ञान को आपको बहुत तरफ से उसके दर्शन करा दूं । उस महल के । तो फिर आप भीतर बहुत आश्वस्त होकर प्रवेश कर सकें । और मैं जब ज्योतिष की बात कर रहा हूं । तो ज्योतिषी की बात नहीं कर रहा हूं । उतनी छोटी बात नहीं है । पर आदमी की उत्सुकता उसी में है कि उसे पता चल जाए कि उसकी लड़की की शादी इस साल होगी कि नहीं होगी ।
इस संबंध में यह भी आपको कह दूं कि ज्योतिष के 3 हिस्से हैं ।
1 - जिसे हम कहें अनिवार्य । एसेंशियल । जिसमें रत्ती भर फर्क नहीं होता । वही सर्वाधिक कठिन है । उसे जानना । फिर उसके बाहर की परिधि है । नॉन एसेंशियल । जिसमें सब परिवर्तन हो सकते हैं । मगर हम उसी को जानने को उत्सुक होते हैं । और उन दोनों के बीच में एक परिधि है । सेमी एसेंशियल । अर्द्ध अनिवार्य । जिसमें जानने से परिवर्तन हो सकते हैं । न जानने से कभी परिवर्तन नहीं होंगे । 3 हिस्से कर लें । एसेंशियल । जो बिलकुल गहरा है । अनिवार्य । जिसमें कोई अंतर नहीं हो सकता । उसे जानने के बाद । उसके साथ सहयोग करने के सिवाय कोई उपाय नहीं है । धर्मों ने इस अनिवार्य तथ्य की खोज के लिए ही ज्योतिष की ईजाद की । उस तरफ गए । उसके बाद दूसरा हिस्सा है । सेमी एसेंशियल । अर्द्ध अनिवार्य । अगर जान लेंगे । तो बदल सकते हैं । अगर नहीं जानेंगे । तो नहीं बदल पाएंगे । अज्ञान रहेगा । तो जो होना है । वही होगा । ज्ञान होगा । तो आल्टरनेटिव्स हैं । विकल्प हैं । बदलाहट हो सकती है । और तीसरा सबसे ऊपर का सरफेस । वह है । नॉन एसेंशियल । उसमें कुछ भी जरूरी नहीं है । सब सांयोगिक है ।
लेकिन हम जिस ज्योतिषी की बात समझते हैं । वह नॉन एसेंशियल का ही मामला है । 1 आदमी कहता है । मेरी नौकरी लग जाएगी । या नहीं लग जाएगी ? चांद तारों के प्रभाव से आपकी नौकरी के लगने । न लगने का कोई भी गहरा संबंध नहीं है । 1 आदमी पूछता है । मेरी शादी हो जाएगी । या नहीं हो जाएगी ? शादी के बिना भी समाज हो सकता है । 1 आदमी पूछता है कि मैं गरीब रहूंगा कि अमीर रहूंगा ? 1 समाज कम्युनिस्ट हो सकता है । कोई गरीब और अमीर नहीं होगा । ये नॉन एसेंशियल हिस्से हैं । जो हम पूछते हैं । 1 आदमी पूछता है कि 80 साल में मैं सड़क पर से गुजर रहा था । और 1 संतरे के छिलके पर पैर पड़ कर गिर पड़ा । तो मेरे चांद तारों का इसमें कोई हाथ है । या नहीं है ? अब कोई चांद तारे से तय नहीं किया जा सकता कि फलां फलां नाम के संतरे से और फलां फलां सड़क पर आपका पैर फिसलेगा । यह निपट गंवारी है ।
लेकिन हमारी उत्सुकता इसमें है कि आज हम निकलेंगे सड़क पर से । तो कोई छिलके पर पैर पड़कर फिसल तो नहीं जाएगा । यह नॉन एसेंशियल है । यह हजारों कारणों पर निर्भर है । लेकिन इसके होने की कोई अनिवार्यता नहीं है । इसका बीइंग से । आत्मा से कोई संबंध नहीं है । यह घटनाओं की सतह है । ज्योतिष से इसका कोई लेना देना नहीं है । और चूंकि ज्योतिषी इसी तरह की बातचीत में लगे रहते हैं । इसलिए ज्योतिष का भवन गिर गया । ज्योतिष के भवन के गिर जाने का कारण यह हुआ कि ये बातें बेवकूफी की हैं । कोई भी बुद्धिमान आदमी इस बात को मानने को राजी नहीं हो सकता कि मैं जिस दिन पैदा हुआ । उस दिन लिखा था कि मरीन ड्राइव पर फलां फलां दिन 1 छिलके पर मेरा पैर पड़ जाएगा । और मैं फिसल जाऊंगा । न तो मेरे फिसलने का चांद त्तारों से कोई प्रयोजन है । न उस छिलके का कोई प्रयोजन है । इन बातों से संबंधित होने के कारण ज्योतिष बदनाम हुआ । और हम सबकी उत्सुकता यही है कि ऐसा पता चल जाए । इससे कोई संबंध नहीं है ।
सेमी एसेंशियल कुछ बातें हैं । जैसे जन्म मृत्यु सेमी एसेंशियल हैं । अगर आप इसके बाबत पूरा जान लें । तो इसमें फर्क हो सकता है । और न जानें । तो फर्क नहीं होगा । चिकित्सा की हमारी जानकारी बढ़ जाएगी । तो हम आदमी की उमृ को लंबा कर लेंगे । कर रहे हैं । अगर हमारी एटम बम की खोजबीन और बढ़ती चली गई । तो हम लाखों लोगों को एक साथ मार डालेंगे । मारा है । यह सेमी एसेंशियल । अर्द्ध अनिवार्य जगत है । जहां कुछ चीजें हो सकती हैं । नहीं भी हो सकती हैं । अगर जान लेंगे । तो अच्छा है । क्योंकि विकल्प चुने जा सकते हैं । इसके बाद एसेंशियल का । अनिवार्य का जगत है । वहां कोई बदलाहट नहीं होती । लेकिन हमारी उत्सुकता । पहले तो नॉन एसेंशियल में रहती है । कभी शायद किसी की सेमी एसेंशियल तक जाती है । वह जो एसेंशियल है । अनिवार्य है । अपरिहार्य है । जिसमें कोई फर्क होता ही नहीं । उस केंद्र तक हमारी पकड़ नहीं जाती । न हमारी इच्छा जाती है ।
महावीर 1 गांव के पास से गुजर रहे हैं । और महावीर का एक शिष्य गोशालक उनके साथ है । जो बाद में उनका विरोधी हो गया । 1 पौधे के पास से दोनों गुजरते हैं । गोशालक महावीर से कहता है  - सुनिए । यह पौधा लगा हुआ है । क्या सोचते हैं आप । यह फूल तक पहुंचेगा । या नहीं पहुंचेगा ? इसमें फूल लगेंगे । या नहीं लगेंगे ? यह पौधा बचेगा । या नहीं बचेगा ? इसका भविष्य है । या नहीं ?
महावीर आंख बंद करके उसी पौधे के पास खड़े हो जाते हैं । गोशालक पूछता है - कहिए । आंख बंद करने से क्या होगा ? टालिए मत । उसे पता भी नहीं कि महावीर आंख बंद करके क्यों खड़े हो गए हैं । वे एसेंशियल की खोज कर रहे हैं । इस पौधे के बीइंग में उतरना जरूरी है । इस पौधे की आत्मा में उतरना जरूरी है । बिना इसके नहीं कहा जा सकता कि क्या होगा । आंख खोलकर महावीर कहते हैं कि यह पौधा फूल तक पहुंचेगा । गोशालक उनके सामने ही पौधे को उखाड़कर फेंक देता है । और खिलखिलाकर हंसता है । क्योंकि इससे ज्यादा और अतर्क्य प्रमाण क्या होगा ? महावीर के लिए कुछ कहने की अब और जरूरत क्या है ? उसने पौधे को उखाड़ कर फेंक दिया । और उसने कहा कि देख लें । वह हंसता है । महावीर मुस्कुराते हैं । और दोनों अपने रास्ते चले आते हैं ।
7 दिन बाद । वे वापस उसी रास्ते पर लौट रहे हैं । जैसे ही महावीर और वे दोनों अपने आश्रम में पहुंचे । जहां उन्हें ठहर जाना है । बड़ी भयंकर वर्षा हुई । 7 दिन तक मूसलाधार पानी पड़ता रहा । 7 दिन तक निकल नहीं सके । फिर लौट रहे हैं । जब लौटते हैं । तो ठीक उस जगह आकर महावीर खड़े हो गए हैं । जहां वे 7 दिन पहले आंख बंद करके खड़े थे । देखा कि वह पौधा खड़ा है । जोर से वर्षा हुई । उसकी जड़ें वापस गीली जमीन को पकड़ गईं । वह पौधा खड़ा हो गया ।
महावीर फिर आंख बंद करके उसके पास खड़े हो गए ।  गोशालक बहुत परेशान हुआ । उस पौधे को फेंक गए थे । महावीर ने आंख खोली । गोशालक ने पूछा - हैरान हूं । आश्चर्य । इस पौधे को हम उखाड़कर फेंक गए थे । यह तो फिर खड़ा हो गया है । महावीर ने कहा - यह फूल तक पहुंचेगा । और इसीलिए मैं आंख बंद करके खड़े होकर इसे देखा ! इसकी आंतरिक पोटेंशिएलिटी ।  इसकी आंतरिक संभावना क्या है ? इसकी भीतर की स्थिति क्या है ? तुम इसे बाहर से फेंक दोगे उठाकर । तो भी यह अपने पैर जमा कर खड़ा हो सकेगा ? यह कहीं आत्मघाती तो नहीं है । सुसाइडल इंस्टिंक्ट तो नहीं है इस पौधे में । कहीं यह मरने को उत्सुक तो नहीं है । अन्यथा तुम्हारा सहारा लेकर मर जाएगा । यह जीने को तत्पर है ? अगर यह जीने को तत्पर है तो । मैं जानता था कि तुम इसे उखाड़ कर फेंक दोगे ।
गोशालक ने कहा - आप क्या कहते हैं ?
महावीर ने कहा - जब मैं इस पौधे को देख रहा था । तब तुम भी पास खड़े थे । और तुम भी दिखाई पड़ रहे थे । और मैं जानता था कि तुम इसे उखाड़ कर फेंकोगे । इसलिए ठीक से जान लेना जरूरी है कि पौधे की खड़े रहने की आंतरिक क्षमता कितनी है ? इसके पास आत्मबल कितना है ? यह कहीं मरने को तो उत्सुक नहीं है कि कोई भी बहाना लेकर मर जाए । तो तुम्हारा बहाना लेकर भी मर सकता है । और अन्यथा तुम्हारा उखाड़कर फेंका गया पौधा पुनः जड़ें पकड़ सकता है ।
गोशालक की दुबारा उस पौधे को उखाड़कर फेंकने की हिम्मत न पड़ी । डरा । पिछली बार गोशालक हंसता हुआ गया था । इस बार महावीर हंसते हुए आगे बढ़े । गोशालक रास्ते में पूछने लगा । आप हंसते क्यों हैं ? महावीर ने कहा कि मैं सोचता था कि देखें । तुम्हारी सामर्थ्य कितनी है । अब तुम दुबारा इसे उखाड़कर फेंकते हो । या नहीं ? गोशालक ने पूछा कि आपको तो पता चल जाना चाहिए कि मैं उखाड़कर फेंकूंगा । या नहीं ! तो महावीर ने कहा । वह गैर अनिवार्य है । तुम उखाड़कर फेंक भी सकते हो । नहीं भी फेंक सकते हो । अनिवार्य यह था कि पौधा अभी जीना चाहता था । उसके पूरे प्राण जीना चाहते थे । वह अनिवार्य था । वह एसेंशियल था । यह तो गैर अनिवार्य है । तुम फेंक भी सकते हो । नहीं भी फेंक सकते हो । तुम पर निर्भर है । लेकिन तुम पौधे से कमजोर सिद्ध हुए हो । हार गए हो ।

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