>याद है तुझे वो दिनजब हम साथ थे..
इक पल को बहक गयी फ़िजा भी
तेरी मदमस्त अठखेलियों से..
बादल भी चाह रहा था झूम के बरसना
तेरे गोरे अंग से लिपटने को..
हवा उङा रही थी तेरा आंचल
जब तू दूर कहीं अनजान सपनों में
खुद से बेखबर खुद हो रही थी .
ये प्यार का मौसम है शायद..
तूने कहा था .
तब तू मेरे आगोश में थी
जब घटायें घिरने ही लगी
उस अनजान वन में
तू मेरे अधरों से अधर जोङ रही थी
कंपित था तेरा वक्षस्थल
मदहोश था मैं तेरे यौवन में
ये प्यार का नशा है
या कि पास तुम हो..
वे सुहाने पल बरसात के
क्या याद है तुझे वो दिन
जब हम साथ थे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें