मंगलवार, अप्रैल 27, 2010

माया को सब खेल है माया की सब चाल

माया को सब खेल है माया की सब चाल
माया फ़ेरे मूढमति माया के सब जाल
माया है सब भाई बन्ध माया के सब मात पिता
माया के पीछे भागे सब माया को है अता न पता
अरे माया को कोई समझ न पायो माया दे रही सबको धता
करियो खता माफ़ फ़क्कङ की रओ माया की असलियत बता

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...