सोमवार, जुलाई 26, 2010

जैसा जिस का काम । पाता वैसे दाम ।

नैन हीन को राह दिखा प्रभु । पग पग ठोकर खाऊँ मैं । तुम्हरी नगरिया की । कठिन डगरिया ।चलत चलत गिर जाऊँ मैं । चहूँ ओर मेरे घोर अंधेरा । भूल न जाऊँ द्वार तेरा ।
एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो । मन का दीप जलाऊँ मैं ।
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हारिये न हिम्मत । बिसारिये न राम ।
तू क्यों सोचे बंदे । सब की सोचे राम । हारिये न हिम्मत । दीपक ले के हाथ में । सतगुरु राह दिखाये ।
पर मन मूरख बावरा । आप अँधेरे जाए । पाप पुण्य और भले बुरे की । वो ही करता तोल ।
ये सौदे नहीं जगत हाट के । तू क्या जाने मोल । जैसा जिस का काम । पाता वैसे दाम ।
तू क्यों सोचे बंदे । सब की सोचे राम ।
" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
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