सोमवार, जुलाई 26, 2010

प्यारे तुम बिनो रहो ना जाय ।

दरशन दीजो आय ।
प्यारे दरशन दीजो आय । प्यारे तुम बिनो रहो ना जाय । जल बिनु कमल । चंद्र बिनु रजनी । वैसे तुम देखे बिनु सजनी ।
आकुल व्याकुल । फिरूं रैन दिन । विरह कलेजो खाय । दिवस न भूख । नींद नहीं रैना । मुख सों कहत न आवे बैना ।
कहा कहूँ । कछु समझ न आवे । मिल कर तपत बुझाय । क्यूं तरसाओ । अंतरयामी । आय मिलो। किरपा करो स्वामी ।
मीरा दासी जनम जनम की । पड़ी तुम्हारे पाय ।
नैया पड़ी मंझधार । नैया पड़ी मंझधार ।
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गुरु बिन कैसे लागे पार । साहिब तुम मत भूलियो । लाख लो भूलग जाये ।
हम से तुमरे और हैं । तुम सा हमरा नाहिं ।
अंतरयामी एक तुम । आतम के आधार ।
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी । कौन उतारे पार । गुरु बिन कैसे लागे पार । मैं अपराधी जन्म का । मन में भरा विकार ।
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार । अवगुन दास कबीर के । बहुत गरीब निवाज़ ।
जो मैं पूत कपूत हूं । कहौं पिता की लाज । गुरु बिन कैसे लागे पार ।
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" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
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