शनिवार, अगस्त 07, 2010

नाडी का रहस्य.??.

स्वर के उदय होने से कार्य के शुभ और अशुभ होने का ग्यान होता है । हमारे शरीर में बहुत प्रकार की नाडियां फ़ैली हुयीं हैं । नाभि के नीचे । कन्दस्थान यानी मूलाधार है । वहीं से सब नाडियां निकलकरशरीर मे फ़ैलती हैं । वहत्तर हजार नाडियां शरीर में चक्राकार अवस्था में रहती हैं । इन नाडियों में वामा यानी बांयी । दक्षिणा यानी दाहिनी । मध्यमा याने बीच में । ये तीन श्रेष्ठ नाडियां हैं । इन्ही को इडा । पिंगला । सुष्मणा । कहा जाता है । इनमें बांयी चन्द्रमा के समान । दांयी सूर्य के समान । तथा मध्यमा अग्नि के समान फ़लदायिनी और कालरूपिणी होती है । बांयी नाडी अमृत रूपा है । यह जगत को आप्यायित करती है । इसके विपरीत दांयी रौदे है और जगत का शोषण करती है । जब शरीर में इन दोनों का एक साथ समान प्रवाह होता है । उस समय मृत्यु बहुत करीब होती है । यात्रा प्रस्थान के लिये बांयी नाडी प्रवेश के अवसर पर दांयी शुभ है । बांये स्वर के समय में सौम्य और शुभ कार्य करने चाहिये । जो जगत के लिये शुभ हों । दांया सुर चलने के समय । तेजस्वी और क्रूर कार्य करने चाहिये । यात्रा में । अन्य सभी कार्यों में । विष दूर करने में बांयी नाडी चलने का समय उत्तम है । भोजन । मैथुन । युद्ध का आरम्भ ।
उच्चाटन आदि अभिचार कर्म में दांयी नाडी उत्तम होती है । शुभ कार्य सम्पादन में । यात्रा में । विष उपचार
में । शान्ति और मुक्ति की सिद्धि हेतु बांयी नाडी उत्तम है । दोनों स्वरों के चलने पर कोई कार्य नहीं करना
चाहिये यह समय विष के समान होता है । सौम्य । शुभ कार्यं में । लाभ के कार्यों में । विजय कार्य में । जीवन कार्य में । आना या जाना हो । तब बांयी नाडी उत्तम है । घात । प्रतिघात । युद्ध । क्रूर कार्य । भोजन । स्त्री से सम्भोग । प्रवेश ( किसी नयी जगह ) तथा तुच्छ कार्य हेतु दांया स्वर उत्तम है । शुभ अशुभ । लाभ हानि । जय पराजय । जीवन मृत्यु । के विषय में प्रश्न करने पर । प्रश्नकर्ता की मध्यमा नाडी चल रही हो तो कार्य सफ़ल नही होता । अन्य दोनों में से कोई चल रही हो तो सफ़लता निश्चित है । यहां नाडी । स्वर । सुर से आशय मनुष्य़ की नाक से प्रवाहित होने वाली स्वांस वायु से है । स्वर बिग्यान का अच्छा ग्यान होने से इसको बदला जा सकता है । सम किया जा सकता है । उदाहरण के लिये भयंकर गर्मी की स्थित में आप चन्द्र नाडी का उपयोग जानते हों । तो आप को भरी गर्मी में सर्दी का अहसास होगा । इसका सबसे बडा सबूत है । कई बार कुछ लोगों को सडी गर्मी में बुखार आने पर बेहद सर्दी लगती है । इसका यही रहस्य है । तब वह क्रिया सिस्टम बिगडने से होती है ।
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